Madhu varma

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लेखनी कविता - नाम-रूप का भेद - काका हाथरसी

नाम-रूप का भेद / काका हाथरसी 


नाम - रूप के भेद पर कभी किया है ग़ौर ?
नाम मिला कुछ और तो शक्ल - अक्ल कुछ और
 शक्ल - अक्ल कुछ और नयनसुख देखे काने
 बाबू सुंदरलाल बनाये ऐंचकताने
 कहँ ‘ काका ' कवि , दयाराम जी मारें मच्छर
 विद्याधर को भैंस बराबर काला अक्षर

 मुंशी चंदालाल का तारकोल सा रूप
 श्यामलाल का रंग है जैसे खिलती धूप
 जैसे खिलती धूप , सजे बुश्शर्ट पैंट में -
ज्ञानचंद छै बार फ़ेल हो गये टैंथ में
 कहँ ‘ काका ' ज्वालाप्रसाद जी बिल्कुल ठंडे
 पंडित शांतिस्वरूप चलाते देखे डंडे

 देख अशर्फ़ीलाल के घर में टूटी खाट
 सेठ भिखारीदास के मील चल रहे आठ
 मील चल रहे आठ , करम के मिटें न लेखे
 धनीराम जी हमने प्रायः निर्धन देखे
 कहँ ‘ काका ' कवि , दूल्हेराम मर गये कुँवारे
 बिना प्रियतमा तड़पें प्रीतमसिंह बेचारे

 पेट न अपना भर सके जीवन भर जगपाल
 बिना सूँड़ के सैकड़ों मिलें गणेशीलाल
 मिलें गणेशीलाल , पैंट की क्रीज़ सम्हारी
 बैग कुली को दिया , चले मिस्टर गिरधारी
 कहँ ‘ काका ' कविराय , करें लाखों का सट्टा
 नाम हवेलीराम किराये का है अट्टा

 चतुरसेन बुद्धू मिले , बुद्धसेन निर्बुद्ध
 श्री आनंदीलाल जी रहें सर्वदा क्रुद्ध
 रहें सर्वदा क्रुद्ध , मास्टर चक्कर खाते
 इंसानों को मुंशी तोताराम पढ़ाते
 कहँ ‘ काका ', बलवीर सिंह जी लटे हुये हैं
 थानसिंह के सारे कपड़े फटे हुये हैं

 बेच रहे हैं कोयला , लाला हीरालाल
 सूखे गंगाराम जी , रूखे मक्खनलाल
 रूखे मक्खनलाल , झींकते दादा - दादी
 निकले बेटा आशाराम निराशावादी
 कहँ ‘ काका ' कवि , भीमसेन पिद्दी से दिखते
 कविवर ‘ दिनकर ’ छायावदी कविता लिखते

 तेजपाल जी भोथरे , मरियल से मलखान
 लाला दानसहाय ने करी न कौड़ी दान
 करी न कौड़ी दान , बात अचरज की भाई
 वंशीधर ने जीवन - भर वंशी न बजाई
 कहँ ‘ काका ' कवि , फूलचंद जी इतने भारी
 दर्शन करते ही टूट जाये कुर्सी बेचारी

 खट्टे - खारी - खुरखुरे मृदुलाजी के बैन
 मृगनयनी के देखिये चिलगोजा से नैन
 चिलगोजा से नैन , शांता करतीं दंगा
 नल पर नहातीं , गोदावरी , गोमती , गंगा
 कहँ ‘ काका ' कवि , लज्जावती दहाड़ रही हैं
 दर्शन देवी लंबा घूँघट काढ़ रही हैं

 अज्ञानी निकले निरे पंडित ज्ञानीराम
 कौशल्या के पुत्र का रक्खा दशरथ नाम
 रक्खा दशरथ नाम , मेल क्या खूब मिलाया
 दूल्हा संतराम को आई दुल्हन माया
‘ काका ' कोई - कोई रिश्ता बड़ा निकम्मा
 पार्वती देवी हैं शिवशंकर की अम्मा

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